दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
टूकड़ो में दिल को तराशते रहे हम
इसका उद्गम मेरा ही दिल था ,अफसोस
अपने ही टुकड़ो से किनारे बांधते रहें हम।
रश्मि मृदुलिका ©®
दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
टूकड़ो में दिल को तराशते रहे हम
इसका उद्गम मेरा ही दिल था ,अफसोस
अपने ही टुकड़ो से किनारे बांधते रहें हम।
रश्मि मृदुलिका ©®