Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2024 · 1 min read

दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,

दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
टूकड़ो में दिल को तराशते रहे हम
इसका उद्गम मेरा ही दिल था ,अफसोस
अपने ही टुकड़ो से किनारे बांधते रहें हम।
रश्मि मृदुलिका ©®

1 Like · 21 Views

You may also like these posts

लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
Khaimsingh Saini
Charlie Chaplin truly said:
Charlie Chaplin truly said:
Vansh Agarwal
"जब आपका कोई सपना होता है, तो
Manoj Kushwaha PS
ग़ज़ल __
ग़ज़ल __ "है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,"
Neelofar Khan
Mental Health
Mental Health
Bidyadhar Mantry
कोई समझ नहीं पाया है मेरे राम को
कोई समझ नहीं पाया है मेरे राम को
Aadarsh Dubey
अब नहीं पाना तुम्हें
अब नहीं पाना तुम्हें
Saraswati Bajpai
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
Ravikesh Jha
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
Shinde Poonam
दिवस संवार दूँ
दिवस संवार दूँ
Vivek Pandey
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
घर आंगन
घर आंगन
surenderpal vaidya
ऐसे हैं हमारे राम
ऐसे हैं हमारे राम
Shekhar Chandra Mitra
अक्सर ज़रूरतें हमें एक - दूसरे के पास लाती है।
अक्सर ज़रूरतें हमें एक - दूसरे के पास लाती है।
Ajit Kumar "Karn"
मन मेरा एकाकी है
मन मेरा एकाकी है
Sanjay Narayan
. शालिग्राम तुलसी विवाह
. शालिग्राम तुलसी विवाह
rekha mohan
अब कुछ साधारण हो जाए
अब कुछ साधारण हो जाए
Meera Thakur
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
Sarla Mehta
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
Manisha Manjari
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ख्वाँबो को युँ बुन लिया आँखो नें ,
ख्वाँबो को युँ बुन लिया आँखो नें ,
Manisha Wandhare
"प्यास का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
♥️ दिल की गलियाँ इतनी तंग हो चुकी है की इसमे कोई ख्वाइशों के
♥️ दिल की गलियाँ इतनी तंग हो चुकी है की इसमे कोई ख्वाइशों के
Ashwini sharma
झुक कर दोगे मान तो,
झुक कर दोगे मान तो,
sushil sarna
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
Shashi kala vyas
"बिना माल के पुरुष की अवसि अवज्ञा होय।
*प्रणय*
News
News
Mukesh Kumar Rishi Verma
4445.*पूर्णिका*
4445.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बहुत प्यारी है प्रकृति
बहुत प्यारी है प्रकृति
जगदीश लववंशी
I know
I know
Bindesh kumar jha
Loading...