दर्द की इन्तहा
जब कांच के गिलास में
पानी लबालब भरा होता है तो
पता नहीं पड़ता कि
यह भरा हुआ है
जब थोड़ा भी खाली होता है तो
नंगी आंखों से दिखाई
देता है
दर्द की भी
अपनी इन्तहा होती है
जब यह रिस रिसकर
दिल से
पसीने की बूंदों की तरह
छलकने लगता है
तो न केवल दिखाई
देता है बल्कि
गौर से सुनो तो
सुनाई भी देता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001