दर्द का सिलसिला
सिलसिलेवार दिल का दर्द बढ़ता जा रहा है ।
इस जालिम तकदीर का सितम भी बढ़ता जा रहा है ।
काश ! कोई तो रहनुमा ,कोई फरिश्ता मिल जाता ,
यह सारा आलम हमें अब दुश्मन लग रहा है ।
सिलसिलेवार दिल का दर्द बढ़ता जा रहा है ।
इस जालिम तकदीर का सितम भी बढ़ता जा रहा है ।
काश ! कोई तो रहनुमा ,कोई फरिश्ता मिल जाता ,
यह सारा आलम हमें अब दुश्मन लग रहा है ।