दर्द का सत्य
दिल में छुपा अथाह दर्द
पर चेहरे पर शिकन नही
पैदल ही चला घर की ओर
पर पावों में थकन नही
बॉस की वो डांट फटकार
फिर भी कोई चुभन नही
चाहत है इस नही के पीछे
शिकन नही थकन नही चुभन नही
चाहत है छिपी दिल में
बिटिया से मिलने की
उसकी भी एक चाहत है
एक चॉकलेट मिलने की
घर परिवार का साथ
किसी जन्नत से कम नही
बेटी का बाप होना
किसी मन्नत से कम नही
कोख में बेटियों को मारने वालों
गर यूँ ही बेटियों को सताओगे
सोचो जरा गर बेटियां यूँ मरती रही
बेटों को जनने की खातिर कोख कहाँ से लाओगे
वीर कुमार जैन
12 अगस्त 2021