दर्द-ए-दिल
बतलाना तो चाहा परंतु आपको दर्द -ए -दिल कभी बतलाया नहीं।
जताना तो चाहा परंतु कभी आपने एहसास से आपको रूबरू करवाया नहीं।
जिंदगी में हलचल सी मच गई थी स्पर्श से, आपके
पर कभी आप पर हक जतलाया नहीं।
जरा सी बातों से नाराज हो जाते हो।
किसी के बहकावे में आकर जरा सा कुछ बोलूं तो सहन नहीं कर पाते हो।
गुस्सा हो मुझसे यह तो मुझे जतलाते हो,
पर अपनी प्रेम भावना को बहुत कम ही बतलाते हो।
जरा सा मौका मिले तो मुझे चिढ़ाते हो, कभी किसी से, तो फिर किसी ओर से, हंसकर बातें करते हो ।
मुझे देखकर इग्नोर मार जाते हो।
आपको भुलाने की नाकाम कोशिश जारी है।
फिर क्या करूं इस दिल का , जिसने करनी आपकी ही पहरेदारी है।
ना जाने कितनी बार रोई हूँ।
कितनी बार बिस्तर पर लेटी तो हूँ ,पर रातभर नहीं सोई हूँ।
आपसे विनती है मेरी यह बता दीजिए मैं आपके काबिल हूँ या अभी तक भ्रम में ही खोई हूँ।
धन्यवाद
रजनी कपूर