दर्द-ए-कोरोना
वक्त गूँगा नहीं होता है,
बड़ा सयाना होता है,
वक्त आने पर बता देता है,
किसका जमाना होता है।
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हाथ से हाथ मिलाएं तो कैसे ?
नजदीकियों को दिल मेँ छुपाये तो कैसे?
तू अगर बख़्स दे , जहां फ़ुर्सत में हो जाये,
अपनों को गले लगाए तो कैसे ?
************************(2)
सांसों पर मास्क का राज है,
सहमा -२ सा हर कोई आज है,
मानव को इन्सां बनाने का ,
शायद वक्त का ये आगाज़ है।
************************(3)
प्रकृति तेरा रूठना भी जरूरी था,
इंसान का घमंड टूटना भी जरूरी था,
हर कोई खुद को खुदा समझ बैठा था यहां,
उनका ये बहम टूटना भी जरूरी था।
****************************(4)
नाज था मुल्कों को अपने परमाणु पर,
करने लगे थे प्रयोग बायो जीवाणु पर,
सारी वैज्ञानिकता धरी की धरी रह गयी,
कायनात बेवस हो गयी छोटे से कीटाणु पर।
*********************************(5)
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