दर्द अपना संवार
खुद को यूं ही निखार लेते हैं ।
दर्द अपना संवार लेते हैं ।।
देख लेते हैं आईना जब भी ।
अपनी नज़रे उतार लेते हैं ।।
बे’खुदी में शुमार न करना ।
तुमको अक्सर पुकार लेते हैं ।।
याद करके तुम्हें हम हर लम्हा ।
वक़्त ऐसे गुज़ार लेते हैं ।।
क़र्ज़ देते हैं अपनी सांसों का ।
हम कहां कुछ उधार लेते हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद