** दर्दे निहा **
दर्दे निहा उठता है दिल से परवाजे म्यूर तू उनको बता वजहे इताब बतादो शफ़ीक पैगामें -बका देने वाले ।। तरब-फ़जा शजर बादेनसीम… खिजां. का क्यों खटका है खदीन . आयेंगी दिलकश बहारे यूँ ही…… लेलो -नहार …जब होंगी फाम।।. .क्यों मौजे ग़म को बुलाते हो वजहे -इताब बतादो शफीक ।। तजादे-जिंदगी अब तो छोड़ो चन्द नफ़स ही बाकी है ।। ………..तारीक रात पासवां जब होंगी ….बिस्मिल मुर्गे -जां उड़ जायेंगे ।। …..दर्दनिहा उठता है दिल से परवाजें म्यूर …तू उनको बता ।।…………………..बजहे इताब बतादो शफीक पैगामे बका देने वाले ।।………….वजूज कल्बे सोजां और भी कुछ दोगे…..फ़जल करके मय -रूह-अफजा पिलादो ।।.दर्दे निहा उठता है दिल से परवाजे म्यूर तू उनको बता ।……वजहे इताब बतादो शफीक पैगामे बका देने वाले ।।
वजहे इताब बतादो शफीक ।। ?मधुप बैरागी