दर्दे दिल हम तुम्हें बताएं क्या।
गज़ल
2122…..1212……22(112)
दर्दे-दिल हम तुम्हें बताएं क्या।
जख़्म देखो अगर दिखाएं क्या।
तुम तो दिल में मेरे समाए हो,
राज दिल के तुम्हें बताएं क्या।
दो ही कपड़े बदन पे हैं जिनके,
पहने क्या धोएँ औ’र सुखाए क्या।
दर्द में गीत औ’र गज़ल मुक्तक,
लिख तो डाले हैं गुनगुनाएं क्या।
दुश्मनी जो निभा रहे मुझसे,
दोस्ती उनसे हम निभाएं क्या।
है बहुत मार काट धरती पर,
चाँद पर आशियाँ बनाएं क्या।
हर तरफ भीड़ भाड़ इतनी है,
आसमाँ से ही उड़ के जाएं क्या।
रोज महगाई बढ़ रही इतनी,
खाएं खुद गेस्ट को खिलाएं क्या।
उसने आँखें ही फेर लीं मुझसे,
जाके पत्थर से दिल लगाएं क्या।
आ रही गंध जाफरानी सी,
गेसुओं से चली हवाएं क्या।
बन के आया था चौकीदार सुनो,
लूटता है वही लुटाएं क्या।
कोई थाना न थानेदार कोई,
दर्द अपना किसे सुनाएं क्या।
उठ रही आसमाँ मे काली सी,
तेरी जुल्फों की हैं घटाएं क्या।
प्रेम करना अगर सुनो प्रेमी,
सीख लो प्रेम की अदाएं क्या।
…….✍️ प्रेमी