दर्दे.. दिले वयां ….++
ख़ुशी तो काफी झलक रही है
तेरी चेहरे से …….. 2
जरा ये तो बता दो ऐ मुसाफिर
आजकल मुखोटा कहाँ से बना रही हो
( यही है आज के दुनिया की हकीकत आदमी सामने से बोलता कुछ और है और अन्दर से सोचता कुछ और )
;;;;;;;—-{ आज बहुत दिन बाद लिखना शुरू किया है इसीलिए जोड़ तोड़ कर लिखने की शुरुआत की है }
त्रुटी हेतु क्षमाप्रार्थी
बिमल