दर्जी चाचा
दर्जी चाचा दर्जी चाचा,
कपड़े सिल दो बन जाऊँ मैं राजा,
सुई और धागे से कर दो कमाल,
जब भी मैं पहनू देख हो सब हैरान,
भैया की शादी में दिखु मैं खास,
पैंट शर्ट और कोट को सिल दो,
काज बटन कर जेब से सजा दो,
मशीन तुम्हारी अद्भुत है चाचा ,
ले लो माप हाथ पैर कमर की ,
दे दो कपड़े जल्दी से सिल कर ।
*रचनाकार ✍
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर ।