दरिया कहीं से कहीं है
दरिया कहीं से कहीं है
समंदर वहीं का वहीं है
समंदर खुद ही प्यासा है
दरिया पे कोई प्यासा नहीं है
बेशक चले जाओ आसमाँ में
मगर लौटकर आना यहीं है
दर्द तो मेरे दिल में उठ रहा है
मगर बरस मेरी आँखें रहीं हैं
मेरी माँ की दुआयें साथ हैं
अब मेरे पास क्या कमी है
ग़लत हर हाल ग़लत है ‘अर्श’
जो सही है हर हाल में सही है