दरियादिल जिन्दगी
वो लम्हे जो खुशी से जीये हमने..
उस लम्हे की एक एक दास्तान लिख रहे हैं
गमे जिन्दगी इतनी खौफनाक थी.उस वक्त का एक पल गिन कर लिख रहे हैं…
लोगो से सिकवा न यारो से गिला है
अपनो को तलासने निकले उसमे भी हमें धोखा ही मिला है..
जिन्दगी ने रूख न जाने किधर को मोड लिया…
ना गली मिली न रास्ता चौराहे पर ला खड़ा किया..
रूसवा हुए इस कदर की नाम होकर भी बेनाम रह गये..
जिस लम्हे कि इल्तजा न थी..
उन लम्हो में जिने के आदी हो गये..