दरिंदों के जिस्म जलाने होंगे।
मोमबत्ती या नहीं, दरिंदों के जिस्म जलाने होंगे।
हाथ जोड़ने को नहीं, हाथ तोड़ने को उठाने होंगे।।
वो जो कानून और ,मानवता को तोड़ रहे हैं।
अपने हाथों से, अब ये दरिंदे मिटाने होंगे।।
कब तक देखेंगे लाश बेटी की बेआबरू सी हुई।
पर्दे शराफत के लोगों के चेहरों से हटाने होंगे।।
डरी है बेटियां परिवार है बड़ी दहशत में।
हमें अपने अंदर के जोश जज्बात जगाने होंगे।।
सरकार नहीं बोलेगी दरिंदे उन्हीं के हैं।
जलाने वाले घरों को चिराग बुझाने होंगे
बहुत हो चुकी खामोशियां बहुत जी लिए डर में
हाथों में अपने हथियार अब उठाने होंगे
मिलेगा न्याय नहीं तुमको सड़क पर आने से
न्याय हाथों में जिनके हाथ उनको दिखाने होंगे
तोड़ दो सागर अब दहशत की हर एक दीवारें
एक एक दरिंदे के नामोनिशान मिटाने होंगे
======03/10/2020