दरवाज़े पर आवाज़ें
कविता
दरवाज़े पर आवाज़ें
*अनिल शूर आज़ाद
दरवाज़े पर
आवाज़ सुनकर
कोई है/यह सोचते
दरवाज़े तक
जाकर देखा-
कोई नही था
मगर..
बिना किसी के आए
दरवाज़े पर आवाज़ें
अब भी
आती हैं!
कविता
दरवाज़े पर आवाज़ें
*अनिल शूर आज़ाद
दरवाज़े पर
आवाज़ सुनकर
कोई है/यह सोचते
दरवाज़े तक
जाकर देखा-
कोई नही था
मगर..
बिना किसी के आए
दरवाज़े पर आवाज़ें
अब भी
आती हैं!