दरमियाँ
कभी ऐसी दूरियां न थीं
फासले दरमियां तो थे, कभी ऐसी दूरियां न थी
फैसले जो भी हुए , बीच में ऐसी कड़वाहट न थी
हम जो सहरा से गुजरे तो भी इतने प्यासे न रहे
जहर पी लेते शौक से पर किस्मत हमारी न थी
मन होता वही बात कर लेते थे तब तुमसे तो हम
सोच समझ कर बात करने की आदत हमारी न थी
जो भी था पर उसमें मिलावट कभी नहीं मिलाई
हमारी बातें शीरी न भी हों उसमें कोई बनावट न थी
डा राजीव सागर