दरख्वास्त ए इश्क़
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन आज चमन मैं आओ ना ॥
मीठी मीठी बातें कर के मेरा दिल बेहलाओं ना ॥
मैं हूँ मुन्तज़िर सिर्फ तुम्हारा तनहा बैठा हुआ चमन मैं ॥
मस्त हवाएं, ठंडा मौसम, आओ अब तड़पाओ ना ॥
ग़म मैं डूबा जाता हूँ मैं शाम भी अब आने को है ॥
आके अब तुम मेरी जानम गीत ख़ुशी के गाओ ना ॥
बादल भी अब नहीं बरसता शाम मगर काली सी है ॥
ऐसी भीगी हुई रात मैं, जां मेरी आ जाओ ना ॥
चाँद सितारे मद्धम मद्धम रात की रानी महकी है ॥
ऐसी प्यारी प्यारी शब् मैं अब मुझ को मिल जाओ ना ॥
सैयद सरफ़राज़ अली “सरफ़राज़”
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