दया करो भगवान
दया करो भगवान …..।
त्राहि-त्राहि मचा हुआ है,
तेरे इस संसार में ,
कण-कण में तू बसा हुआ है,
नर के इस कंकाल में ।
दया करो………।।१।
सूझ-बूझ नहीं है अब ,
मानव के अहंकार में,
लील रहा है जीवन अपना,
झूठे इस संसार में ।
दया करो………।।२।
दुख में डूबा फिर भी भूखा ,
व्यभिचार के आड़ में ,
तोड़ रहा है बंधन को,
खोज रहा है प्यार को ।
दया करो………।।३।
भूल रहा है वंदन करना,
त्याग रहा है ज्ञान को ,
करता नहीं सम्मान जगत का,
माँग रहा है स्वाभिमान को ।
दया करो………।।४।
आँखों में अब प्रेम नहीं,
मुख से कितने भी नाम लो ,
मानव का कल्याण किया है ,
‘बुद्ध’ करुणा से ज्ञान लो ।
दया करो………।।५।
रचनाकार-
#बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा (हमीरपुर) ।