Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

दबे पाँव

दबे पाँव

जब झांक कर देखा वर्तमान की प्राचीर से,
पुकार रहा था कोई अतीत के झरोखे से।

सहजता से अपनाते चले गए बाल सुलभ चेष्टाएँ,
रोम रोम को रोमांचित करने वाली सहज भंगिमाएं।

न पेचीदापन न संजीदगी न रूमानियत,
न दिखावा न बनावट अनुरक्त सा तादात्म्य।

न पराकाष्ठा न संपूर्णता केवल भोलापन,
न आस न परिहास न भीड़ न ही अकेलापन।

न गूढ़ार्थ न सतही केवल प्रवाह और निर्वाह,
प्रमुदित आनंदित केवल स्वीकार्यता और परवाह।

न तृष्णा न वितृष्णा न आक्रामक न विस्फोटक,
न कोई शर्त प्रतिबद्धता उपालंभ का कोई घटक।

दिल की नाव में कभी बारिश का मज़ा लेना,
कभी हवा के सर्द थपेड़ों से भी दो दो हाथ करना।

न कलात्मक प्रतिद्वंद्वी न किंचित भी आत्म सजगता,
रुठना मनाना सहज मान जाना न थी कोरीभावुकता।

डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’

34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पिता
पिता
Dr Manju Saini
मै नर्मदा हूं
मै नर्मदा हूं
Kumud Srivastava
झूठ भी कितना अजीब है,
झूठ भी कितना अजीब है,
नेताम आर सी
फितरत सियासत की
फितरत सियासत की
लक्ष्मी सिंह
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
#एकताको_अंकगणित
#एकताको_अंकगणित
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
कलयुग और महाभारत
कलयुग और महाभारत
Atul "Krishn"
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन और रंग
जीवन और रंग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"Looking up at the stars, I know quite well
पूर्वार्थ
हज़ारों साल
हज़ारों साल
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
अफ़सोस न करो
अफ़सोस न करो
Dr fauzia Naseem shad
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
शेखर सिंह
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पुस्तक
पुस्तक
Sangeeta Beniwal
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
Arvind trivedi
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आसमाँ .......
आसमाँ .......
sushil sarna
-आगे ही है बढ़ना
-आगे ही है बढ़ना
Seema gupta,Alwar
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
DrLakshman Jha Parimal
प्यार के पंछी
प्यार के पंछी
Neeraj Agarwal
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
gurudeenverma198
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
Vindhya Prakash Mishra
*औषधि (बाल कविता)*
*औषधि (बाल कविता)*
Ravi Prakash
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
2680.*पूर्णिका*
2680.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कलानिधि
कलानिधि
Raju Gajbhiye
"अच्छे साहित्यकार"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...