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25 Jul 2020 · 1 min read

दबी दबी सी बंद जुबान है

*** दबी दबी सी बंद जुबान है ***
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दबी दबी हुई सी बंद हर जुबान है
चलने वाली हर रहगुजर सुनसान है

खोया हर कोई अपनी अपनी धुन में
इंसानियत की अवरुद्ध दुकान है

प्रमोदों को काली नजरें निगल गई
दिखाई देता हर शख्स परेशान है

अमन और चैन दिखते नजरों से दूर
जनार्दन का पहरेदार भगवान है

लय और ताल भी अब हैं बेमेल हुए
बिगड़े हुए अमूमन सभी सुरतान हैं

गुलजार मौसम भी है बदहवाश भरा
मुरझाई हर कली, खूशबू अवसान है

खुशी या ग़म जीवन के दो पहलू हैं
लुत्फ ले गुजारे,खुदा का फरमान है

सुखविंद्र रहमोकरम का शुक्रिया करे
मुख पर रहनी चाहिए मंद मुस्कान है
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(

1 Like · 1 Comment · 395 Views
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