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12 Jul 2021 · 2 min read

दफन

रहस्य से भरपूर कहीं भ्रम, मोह, माया जाल जैसे
*विपीन को जीवन में चौतरफ़ा रहस्यमयी घटनाओं से आच्छादित परतों को परत दर परत भेदने की ठान रखी हो, आने वाली हर समस्या को सुलझाने को हर किसी के लिए, हमेशा तत्पर,
समस्या जब दूसरों की हो तो थोड़े राहत मिल जाती है.
*विपीन खुद में हरफनमौला बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी, समय पर हर पड़ाव पार करते हुए आगे बढते रहा,
सब अपनों के साथ और आशीर्वाद पाकर खुशी से अध्ययन अध्यापन के कार्य में कार्यरत, कर्मेठ, मेहनती, ईमानदार उसके जैसे गहने हो.
समय रहते शादी हो गई, शादी एक साधारण ग्रामीण परिवेश की लडकी से हो गई, जीवन संगिनी *मिनाक्षी भी बहुत सुशील, सज्जन, हर तरफ की ऊंच नीच का ख्याल रखते हुए, जल्द ही परिवार की सदस्या बन गई.
आजकल की लड़कियां हर कार्य में पारंगत, सिलाई, कढाई, बुनाई, रसोई के कामों निपुणता,,
अध्ययन अध्यापन कार्य में जैसो विद्यार्थियों की चहेती बनकर रह रही हो,
जिंदगी में अब वो समय आरंभ होता है, जो दोनों के जीवन में जैसे खुशियां किलकारी मारते हुए प्रवेश कर रही हो, *मिनाक्षी गर्भवती हो गई, शरीर के हॉरमोन बदल गए, और एक गर्भवती महिला को शारिरिक लक्षण
उल्टी जैसा मन, खाद्य पदार्थ में अजीब सी महक महसूस करना, पेटदर्द, कमर-दर्द, हाथ पैरों में दर्द, जटिलताओं के साथ जीवन में जो जुझारूपन होना चाहिए. वो दंपती में मौजूद, धीरे धीरे समय बढते गया,
दोनों टी.टी के इंजेक्शन कवर करवाते हुए, कैल्शियम, आयरन फोलिक एसिड, प्रोटीन की आवश्यकतानुसार
पूर्ति ,चिकित्सकीय देख रेख में सब आगे बढ रहा था,
प्लेसेंटा प्राइमा परेविया के कारण ऑपरेशन निर्धारित कर दिया गया,
फिर क्या था, कहते है कफन बाँधकर एक नव जीवन को जन्म देती है.और वही हुआ.
प्रसूति-काल के करीब दो सप्ताह पहले कोविड इंफेक्शन पोजिटिव हो गई.
फिर भी बैड नहीं मिले, वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है का ब्यौरा देते हुए, सबने नकार दिया, आखिर दिल्ली मैं एक अस्पताल स्पेशल कोविड पॉजीटिव डिलीवरी के लिए आरक्षित था, अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया,
लेकिन खुद *मिनाक्षी पोस्ट कोविड लक्षणों से घिर गई.
उसे करीब डेढ़ हफ्ते तक ये भी मालूम नहीं रहा की उसकी बच्ची किस हाल में है, कैसी है,
इन सबके बीच विभागीय समस्या आ गई.
प्रेग्नेंसी लीव, इसलिए रदद कर दी गई.
कि मिनाक्षी ने अपने मिले प्रोमोशन को स्वीकार करके नऐ राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में स्वीकार कर लिया, गर्भकाल अवकाश को प्रभारी प्राचार्य ने रदद कर रोडा अटका दिया,
और एक नई तरह की समस्या को जन्म दे दिया.
जिसकी सुलह अब तक नहीं हुई है.
फैसला आने के बाद कहानी जारी रहेगी.
बाकी पीडित पक्ष विपीन वा मिनाक्षी.
जो हर काम जिम्मेदारी पूर्वक करते है.
उनकी मानसिक शारिरिक पीड़ा को समझा जा सकता है

नैतिक शिक्षा:- हालात कैसे भी बुरे हो,संघर्ष करते रहना चाहिए. सफलता की कुंजी बन जाती है.

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