“दफना रहा है”
कहती नहीं कुछ ,तो उगलिया उठा रहा है।
मेरी ही परछाईं बन, मुझे ही चिड़ा रहा है।
मेरे ही वजूद से जिंदा वजूद है तेरा।
ये जान के भी मुझे ही दफना रहा है।
कहती नहीं कुछ ,तो उगलिया उठा रहा है।
मेरी ही परछाईं बन, मुझे ही चिड़ा रहा है।
मेरे ही वजूद से जिंदा वजूद है तेरा।
ये जान के भी मुझे ही दफना रहा है।