दनकौरी काण्ड
कलम नहीँ तलवार उठा लू इन गुंडों हत्यारों पर ।
रक्त चढ़ा दू जी करता है जंग लगी तलवारों पर ।।
बहुत हो चुका सहते सहते अब ए सहन नहीं होगा ।
चीर हरण करने वालों अब नंगा वतन नहीँ होगा ।।
खुद को मर्द समझने वालों लानत है तुम मर्दों पर ।
है हिम्मत तो टक्कर ले लो जुगनू के इन शर्तों पर ।।
मात्रभूमि की कसम है तुझको ऐसा सबक सिखाएंगे ।
नंगा कर तलवार घुसाकर भारत भ्रमण कराएंगे ।।
परशुराम का वंसज हूँ फरसा का प्यास बुझाऊँगा ।
तेरी इन करतूतों को मैं जन जन तक पहुचाऊंगा ।।
जो देख रहे थे खड़े खड़े उन पर भी ऐसा होगा ।
चौराहे पर बहन लुटेगी थाने में पैसा होगा ।।
सोचो वापस कर पाओगे अपने माँ की इज्जत को ।
बाप बेचारा मर जाएगा देख के गन्दी हरकत को ।।
क्या लेकर तुम आये हो और क्या लेकर तुम जाओगे ।
आने वाली पीढ़ी से तुम गाली भर मुह खाओगे ।।
आओ हम संकल्प करे उन सबको न्याय दिलाने का ।
ध्येय हमारा हो राक्षस को फाँसी तक पहुचाने का ।।