Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2023 · 2 min read

#दंडी रचित दशकुमारचरित

🕉

★ #दंडी रचित दशकुमारचरित ★

संस्कृति की वाहक होने के कारण भाषा को संस्कृत कहा गया। कही गई बात को पीछे आने वाले लोग भी जान सकें इसलिए देवों ने लिपि का निर्माण किया जिसे देवनागरी कहा गया।

वे जन, जो किन्हीं शब्दों का मूल खोजने डच, फ्रेंच, ग्रीक अथवा किसी अन्य भाषा की शरण में जाने को आतुर हैं, पहले इस बकवाद का समर्थन करें कि ‘आर्य’ विशेषण नहीं संज्ञा है।

‘दंडी’ रचित संस्कृत का उपन्यास ‘दशकुमारचरित’ एक ऐसी विलक्षणता लिए हुए है कि विश्व की शेष भाषाएं केवल उसका गौरव-गान कर सकती हैं।

‘दशकुमारचरित’ कथा है दस राजकुमारों की जो एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, और निश्चित करते हैं कि सभी जन अलग-अलग दिशाओं में जाएंगे और एक निश्चित समय उपरांत पुनः यहीं मिलेंगे और अपने-अपने अनुभव सुनाएंगे।

वो दिन आ जाता है और सभी राजकुमार अपनी-अपनी कहानी कहते हैं।

एक राजकुमार अपनी बात कहने के बीच में एक बार पीड़ा के कारण सिसकारी भरता है तो दूसरे उसका कारण पूछते हैं?

वो कहता है कि “कुछ काल हुआ उसका किसी व्यक्ति से विवाद हो गया। तलवारें खिंच गईं। उसका निचला होंठ कट गया। उस घटना के कारण वो वार्ता के लिए ‘तवर्ग’ के अगले वर्ग के अक्षरों का उच्चारण नहीं करता है। कथा कहते हुए असावधानीवश वर्जित वर्ग के अक्षर का उच्चारण हो गया। होंठ जुड़े तो कष्ट हुआ। इसी कारण ‘सिसकारी’ निकली।”

प्रणाम ! ‘दंडी’ जी को ! !

वो राजकुमार अपनी पूरी कहानी कहते हुए केवल एक बार ‘पवर्ग’ के एक अक्षर का प्रयोग करता है।

मैं भाग्यशाली हूँ कि मेरे जीते जी एक और महान विभूति इस धरा की शोभा बढ़ा रही थी।

माँ शारदा के प्रिय पुत्र ‘रांगेय राघव’ जी ने इस उपन्यास का हिंदी अनुवाद किया है और वही ‘दंडी’ वाला जादू कर दिखाया है।

ऐसे-ऐसे महान लोग हमारे पूर्वज रहे हैं, इतना यथेष्ट नहीं है। हमें उनके पदचिन्हों पर चलना है। किसी को यह बताने की कोई आवश्यकता नहीं है कि मेरा नाम ‘लाईट ऑफ नॉलेज’ अर्थात ‘वेदप्रकाश’ है। मेरे कार्यकलाप से लोग अपने-आप ही जान जाएंगे कि सच क्या है?

इस लेख के पाठक मेरा प्रणाम स्वीकार करें। और भूल-चूक के लिए क्षमादान के मेरे अधिकार की रक्षा करें। क्योंकि मैं भाषा-वैज्ञानिक न होकर मात्र अपढ़ा-अगढ़ा एक कवि हूँ।

ओ३म् हरि ओ३म् !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ
धोखा वफा की खाई है हमने
धोखा वफा की खाई है हमने
Ranjeet kumar patre
कुछ लोगों के बाप,
कुछ लोगों के बाप,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
उलझ नहीं पाते
उलझ नहीं पाते
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
प्रेम अब खंडित रहेगा।
प्रेम अब खंडित रहेगा।
Shubham Anand Manmeet
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
Ashwini sharma
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
कितनी यादों को
कितनी यादों को
Dr fauzia Naseem shad
# होड़
# होड़
Dheerja Sharma
"एक ही जीवन में
पूर्वार्थ
#एक_और_बरसी
#एक_और_बरसी
*प्रणय प्रभात*
मैं नहीं कहती
मैं नहीं कहती
Dr.Pratibha Prakash
शीर्षक:इक नज़र का सवाल है।
शीर्षक:इक नज़र का सवाल है।
Lekh Raj Chauhan
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
बगिया के गाछी आउर भिखमंगनी बुढ़िया / MUSAFIR BAITHA
बगिया के गाछी आउर भिखमंगनी बुढ़िया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
भीतर से तो रोज़ मर ही रहे हैं
भीतर से तो रोज़ मर ही रहे हैं
Sonam Puneet Dubey
*** चल अकेला.....!!! ***
*** चल अकेला.....!!! ***
VEDANTA PATEL
ठुकरा दिया है 'कल' ने आज मुझको
ठुकरा दिया है 'कल' ने आज मुझको
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कविता
कविता
Dr.Priya Soni Khare
फितरत
फितरत
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
जो कुछ भी है आज है,
जो कुछ भी है आज है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...