दंगाई कपड़ा
हुकूमत फरमान सुनाती,
दंगाई कपड़े से पहचाने जायेगें |
कपड़ा परेशान है बैठा
यार, न मेरा कोई धर्म,
न मेरी कोई जाति,
बस, कुछ है मेरा रंग,
कुछ है मेरा ढंग |
भाई! ये दंगाई कपड़ा है
इसकी जांच कराओ,
इस कपड़े पर कोई बैन लगाओ |
पूंछताँछ पड़ताल हो रही,
कपड़ा बैठा दंग !
‘शोरुम’ की बात अलग थी ,
वहाँ पर मेरी ठाठ अलग थी,
पर ‘ठेलिये’ से जो गुजरा मैं,
वहीं लिया गया धर
चार्जशीट तैयार हो रही |
बेहिसाब आरोप थे मुझ पर,
कौन-सी सजा मै पाऊँगा ?
इनकी एक मार से, मै फट जाऊँगा
वर्दी वाले कपड़े, बोल यार
क्या मै बच पाऊँगा?
तुम जैसा तो मै भी हूँ,
बस मेरा रंग अलग है, ढंग अलग है
पर ये आरोप गलत है कि, कपड़ा मैं दंगाई हूँ |