थोड़े सूखे गुलाब ले आये
थोड़े सूखे गुलाब ले आये
यूँ वो अपना जवाब ले आये
लिखते जज्बात ही रहे जिसमें
आज फिर वो किताब ले आये
लफ्ज़ अश्कों से मिट गये थे कुछ
उसका भी वो हिसाब ले आये
हम मुहब्बत के बदले में उनसे
दर्द बस बेहिसाब ले आये
‘अर्चना’ का जहां सजाने को
प्यार अपना जनाब ले आये
14-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद