थोड़ा सा सुकूँ चाहिए हर शाम के बाद.
थोड़ा सा सुकूँ चाहिए हर शाम के बाद.
अब तो तू आज मेरे दबे अरमान के साथ.
मैं आज भी याद तुझे करता हूँ.
याद करके तुझे हर बार मैं मरता हूँ
अब तो मत तरसा ऐसे ईमान के साथ
मैं आज भी जिंदा हूँ
तेरी यादों के समान के साथ
तेरी यादों की झोली में
नाज़ाने कितने दिन बीते
तन्हा कितनी रात कटी
डूब कर तेरे यादों के दरिया में
नाज़ाने कश्ती कितनी बार डूबी
किनारे की चाह में मँझधार में कश्ती छूटी
तेरी झूठे वादों में सांसे मेरी हर बार है टूटी
तेरे झूठे वादे ही तो जीने का सहारा थे
तूने अरमां सारे तोड़ दिए तो बेसहारा थे
भूपेंद्र रावत
11।09।2017