!! थोथा चना बाजे घना !!
शोहरत और धन दौलत पर
कत्ले आम हो रहा है,
आज जिधर को भी देखो
इंसान बस हैवान हो रहा है !!
छोटी छोटी बात पर
खूनी खेल , खेल रहा है
लहू में उबाल इतना
अंदर से कमजोर हो रहा है !!
ताकत अब अंदर कम है
दिमागी शैतान हो रहा है
हाथो में भी बल की कमी है
फिर भी मुंहजोर हो रहा है !!
चलती राह पर कर के छींटाकीशी
बेसंस्कार हो रहा है
जब हाथ आ जाता है किसी के
अपनी ही हरकत का शिकार हो रहा है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ