थोड़ी सी दोस्ती….
नहीं पता कैसे
पर जानता हूं
की दुनिया गोल है
और एक दिन तुम तक जरूर लौट पाऊंगा
भूगोल के टीचर ने पढ़ाया था
कहीं से चलना शुरू करो तो
वापस उसी जगह लौट आते है
क्या सचमुच एक दिन धूमकेतु की तरह
तुम्हारी परिधि में लौट पाऊंगा
क्या तुम भी अपनी कक्षा से निकल पाओगी
ज़िंदगी कितना अजीब है ना
कौन हमारे लिए कितना जरूरी है
इसका एहसास हमें तब होता है
जब वो हमारे पास ही नहीं होता
हम लौटना तो चाहते है
पर ज़िंदगी लौटने नहीं देती
खैर जो भी है
इतना ज़रूर यकीन है मुझे
तुम पर और खुद पर भी की
हम एक दूसरे को जरूर याद करेंगे
और आसमां में जब कभी
कोई तारा टूटेगा न
तो हम थोड़ी नजदीक वाली दोस्ती मांग लेंगे
कभी मंदिर गया तो नही पर गया तो
तुम्हारी खुशियां मांगूंगा
साथ में सिल्लीगुड़ी की हसीन वादियों में
तुम्हारे साथ एक कप केपचिनो मांग लूंगा
हम साथ ज्यादा वक्त बिता नहीं पाए न
इसलिए उस खुदा से तुम्हारे साथ बिताने को
थोड़े से और पल मांग लूंगा
थोड़ी सी और तुम्हारी दोस्ती मांग लूंगा