थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ ल
थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ लिया।
बहारे क्या कभी पूछ कर आती है क्या तेल के बगैर जलता है दिया।।
बस इतनी- सी आरज़ू जरूर थी कि सीने में धधकती आग में एक फुलझड़ी जल जाए।।
नाखुश ,नादान ,ना ग्वार, ना समझ गुजारा भत्ता मांगने लगे एक बेरोजगार से।।
सतपाल चौहान ।