बदनामी के धुंए
कभी बदनामी के धुंए उठें थें मेरे दहलीज से भी
कई मुद्दत बीत गए, फिर भी सुलगती है सीने बीच आग आज भी।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार
कभी बदनामी के धुंए उठें थें मेरे दहलीज से भी
कई मुद्दत बीत गए, फिर भी सुलगती है सीने बीच आग आज भी।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार