थोड़ा हंस लिया जाए
क्यों न दर्द को आज
थोड़ा दर्द दिया जाए
हालात जैसे भी हो
थोड़ा हंस लिया जाए।।
जिंदगी के अच्छे पलों
को याद किया जाए
उदास दिल को हंसी
से आबाद किया जाए।।
थोड़ा समय क्यों न
अपनों को दिया जाए
बीत रहे है जो पल
उनको जीया जाए।।
बूढ़ी मां के आंचल में
बैठकर बचपन जीया जाए
बच्चों के संग गलियों में
कुछ शरारतें की जाए।।
अहम को दूर रखकर
सबसे गले मिला जाए
छोटे मोटे गीले शिकवों
को भुला भी दिया जाए।।
संघर्ष हजारों है जीवन में
फिर भी जिंदगी को जीया जाए
गम भूलाने के लिए कभी
दोस्तों के संग बैठ लिया जाए।।
फटे कपड़े में सड़कों पर घूम
रहे बच्चों को कुछ दिया जाए
किसी को खुशी देकर अब
खुद को भी खुश किया जाए।।
कभी थोड़ा प्रकृति के
समीप भी जाया जाए
नदी की अविरल धारा में
थोड़ा सुकून ढूंढा जाए।।
सावन की रिमझिम बारिश में
झूलों पर फिर से झूला जाए
क्यों न सारी परेशानियों को
थोड़ी देर के लिए भूला जाए।।
मिले जिससे सबको खुशी
क्यों न वो काम किए जाएं
एक ऐसी योजना बनाई जाए
जिसमें खुशी मुफ्त बांटी जाए।।