थोड़ा सा इश्क
थोड़ा सा इश्क थोड़ी सी नादानी
थोड़ा सा बचपन थोड़ी मनमानी
बचपन का प्रेम यादों में करे मनमानी
कहती थी मुझको हस कर मेरी नानी
थोड़ी सी मस्ती थोड़ी अल्हड़ सैतानी
मन के सिलेट पे रह जाय बचपन तूफानी
समय के पहिए पे जब घूमी कहानी
यादों में रह जाय बस मुश्क वो पुरानी
किस्सों कहानियों की पोटली पुरानी
लेकर बैठिए कभी संग में गुड़ धानी
~ पुर्दिल सिद्धार्थ