थोड़ा इश्क़
तुम समय काटने के लिए,
इश्क़ का सहारा लेते हो!
ग़ालिब की ग़ज़ले सुनकर
बड़े हुएं, और अब
ग़ालिब से बड़ा होना चाहते हो!
तुमने कुछ इश्क़ किया,
कुछ चाय पी,
थोड़ा इश्क़ किया, थोड़ा सूट्टा मारा!
ग़ज़ल की महक को भी
धुंए में छोड़ दिया!,
तुम नहीं जानते तुमने इश्क़
करके ग़ज़ल सुनी या
ग़ज़ल सुनकर इश्क़ हुआ!,
इश्क़ ग़ज़ल होना हैं और
ग़ज़ल ग़ालिब होना!
तुम ग़ज़ल नहीं लिख पाये,
तुम्हें इश्क़ नहीं हुआ,
अगर इश्क़ होता, तो
तुम्हें इश्क़ हो जाता!