थॉमस माल्थस का सिद्धांत और भावी परिस्थितियां
दिनाँक :- २७-०३-२०२०
विधा :- लेख
शीर्षक :- थॉमस माल्थस का सिद्धांत और भावी परिस्थितियां
आज वह विचारधारा पूर्णतः सत्य साबित होने जा रही है जब पूरी दुनिया “कोरोना” जैसे वाइरस की महामारी का दंश झेल रहा है जो कल एक महान अर्थशास्त्री “थॉमस माल्थस” ने कहा था उनका सिद्धांत ” An Essay on the principle of Population (1798)”जनसंख्या भूगोल के क्षेत्र में अपने निराशावादी विचारधारा के लिए सुविख्यात है जिन्होंने अपनी निराशावादी विचारधारा से पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था आज वही घट रहा है उनका विचार था कि यह तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या 25वर्ष में दोगुनी हो जाएगी पर संसाधन के विकास की गति अंकगणितीय रहेगी, जनसंख्या वृद्धि ज्यामितीय (Geometrically)1,2,4,16,32,64,128etc.और संसाधन विकास अंकगणितीय (Airthmetically) 1,2,3,4,5,6etc. होगी जिससे 200वर्षों बाद जनसंख्या व संसाधन अनुपात 256:9 का हो जाएगा। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए मानवीय गतिविधियां जरूरी है नहीं तो जब यह संतुलन बिगड़ेगा प्रकृति स्वयं प्राकृतिक संतुलन स्थापित करती है और उसका रवैया बहुत ही खतरनाक होगा। प्रकृति अपना संतुलन भूखमरी, सूखा, बाढ़, महामारी, संक्रामक बीमारी, अकाल, युद्ध आदि प्राकृतिक आपदाओं से कर लेती है।
सच कहें तो 1921 ई. के पहले काफी हद तक यह सिद्धांत लागू होता था। अतः इस सिद्धांत को झुठलाने के लिए हमें खुद को काल के ग्रास से बचाना होगा और नियमों के तहत अपने आपको ज्यादा से ज्यादा संयमित ही रखना होगा और प्रकृति के साथ मित्रवत भाव को अपनाना होगा ताकि प्रकृति का यह भयावह रूप सामने न आए और “थॉमस माल्थस” का यह निराशावादी सिद्धांत महज एक विचार बन कर ही रहे! ??
कॉपीराइट व मौलिक
मिथलेश सिंह”मिलिंद”
आजमगढ़ – उत्तर प्रदेश