Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2023 · 1 min read

थे कितने ख़ास मेरे,

थे कितने ख़ास मेरे,
अब समझ में आया…
छोड़ गए जब से
इस दुनियां को,
तुम ही तुम हो नज़रों में,
बेचैन कर रही तेरी यादें,
पल-पल दिल घबराता है,
थे कितने करीब मेरे,
“महावीर” अब समझ में आया…✍️

भावांजलि 🙏😥

1 Like · 576 Views

You may also like these posts

समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अनपढ़ रहो मनोज (दोहा छंद)
अनपढ़ रहो मनोज (दोहा छंद)
Manoj Mahato
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
सुख - एक अहसास ....
सुख - एक अहसास ....
sushil sarna
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
Keshav kishor Kumar
मेरे प्यारे बच्चों
मेरे प्यारे बच्चों
Abhishek Rajhans
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
अहंकार
अहंकार
Rambali Mishra
"जगत-जननी"
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
महिमा है सतनाम की
महिमा है सतनाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पिछले पन्ने 4
पिछले पन्ने 4
Paras Nath Jha
लाया था क्या साथ जो, ले जाऊँगा संग
लाया था क्या साथ जो, ले जाऊँगा संग
RAMESH SHARMA
जब से वो मनहूस खबर सुनी
जब से वो मनहूस खबर सुनी
Abasaheb Sarjerao Mhaske
तेरे चेहरे पर कलियों सी मुस्कुराहट बनाए रखने के लिए।
तेरे चेहरे पर कलियों सी मुस्कुराहट बनाए रखने के लिए।
Rj Anand Prajapati
जिन्दा हूं जीने का शौक रखती हूँ
जिन्दा हूं जीने का शौक रखती हूँ
Ritu Asooja
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
विरक्ती
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
खुद से बिछड़े बहुत वक्त बीता
खुद से बिछड़े बहुत वक्त बीता "अयन"
Mahesh Tiwari 'Ayan'
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
Manisha Manjari
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सब ठीक है ।
सब ठीक है ।
Roopali Sharma
"अनैतिक कृत्य" की ज़िम्मेदारी "नैतिक" कैसे हो सकती है प्रधान
*प्रणय*
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
सत्य की खोज
सत्य की खोज
dks.lhp
Loading...