थंहम सा नहीं दीवाना
* हम सा नहीं दीवाना *
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चाहे पूछ लो जमाना
हम सा नहीं दीवाना
यह हवाएं कह रही हैं
हम से है दिल लगाना
सुन सदाएं दे रही है
तेरा मेरा अफसाना
उपहार देती दुनियाँ
तुम सा नहीं नजराना
बागों में खिलें फूल हैंं
फूल तुमसा महकाना
मधुशालाएं बहुत हैं
तेरी आँखें मयखाना
नजरें मत तुम झुकाओ
नजरों से नजर मिलाना
दिल की है यह आरजू
तुम पर मर मिट जाना
तुम हो रूप की पटारी
तेरा हुस्न बारूदखाना
नैनों से मारते हो तुम
तेरी निगाहें कातिलाना
सुखविन्द्र ने तुम्हें देखा
तेरे सौंदर्य का दीवाना
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)