त्रिपदा छंद
त्रिपदा छंद – 11 मात्रिक
चरणान्त – गाल
प्रथम प्रयास
देता अपना हाथ ।
सदा निभाता साथ ।
बनकर चलता नाथ ।।
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जननी जग का सार ।
जीने का आधार ।
श्वांस – श्वांस उपहार ।।
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सावन की बरसात ।
यादों के आघात ।
जागे सारी रात ।।
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दो लफ्जों की बात ।
बीती सारी रात ।
मधुर मिलन सौगात ।।
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झूठे जग के मीत ।
लगे दिखाने प्रीत ।
यही जगत की रीत ।।
सुशील सरना / 5-2-24