त्योहार
समरधा गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था। माता-पिता मजदूरी करते थे। उनके दो बेटे थे, एक का नाम गोलू और दूसरे का नाम मोनू था।जब भी कोई त्यौहार आता,गोलू और मोनू बहुत खुश होते थे। वैसे तो कोई भी त्यौहार आये, परिवार में खुशी का माहौल बन जाता है। दिपावली का दिन था, पिता जी बाजार गये हुए थे। और माता जी , दोनों बेटे घर को सजा रहे थे।जब पिता जी बाजार से वापस लौटे, उनके हाथ में दो सामान से भरे हुए थैले थे।गोलू और मोनू ने दोनों थैलों को अपने हाथों में ले लिया। थैलों में वह अपने पटाखे तलाश करने लगे। क्योंकि बच्चों को पटाखे बहुत पसंद होते हैं। उन्हें और कोई समान से मतलब नही होता है।जब दोनों ने थैलों से समान निकाला, तो पटाखों में उन्हें सुतली बम दिखाई नही दिया। दोनों बच्चे पिताजी से पूछने लगे कि आप सुतली बम नही लाये हो। और पिताजी से सुतली बम लाने की जिद करने लगे।अब बच्चों की जिद के आगे पिताजी नतमस्तक हो गये। उन्होंने दोनों बच्चों को दस-दस रुपए दिए, और कहा कि आप जैन साहब की दुकान पर से सुतली बम ले आयो। और पिताजी ने समझाया कि बेटे इन पटाखों को ध्यान से चलाना।यह बम बहुत तेजी से आवाज करता है। इतना कहकर माता-पिता जी लक्ष्मी पूजन की तैयारी करने लगे। और माता जी कुछ पकवान बनाने में व्यस्त हो गई।जब सब कुछ तैयार हो गया, फिर लक्ष्मी जी की पूजा हुई। और बच्चों को बतासे दिये गये। और पिताजी ने कुछ पटाखे दे कर घर के अंदर चले गए। और बाहर बच्चे पटाखे चलाने लगे।जब मोनू ने एक सुतली बम चलाया तो वह चला ही नही।तब मोनू ने उसे हाथ में उठाया , और बम अचानक उसके हाथ में ही चल गया। और बच्चे की दो अंगुली गायब हो गई। दूसरे बच्चे ने जा कर माता-पिता को बताया ,वह दौड़ कर घर से बाहर आये।देखा तो मोनू की अंगुली से खून निकल रहा था। उसे जल्दी से उठा कर अस्पताल ले गए।खुशी का माहौल मातब में बदल गया। एक छोटी सी भूल,उस बच्चे की जान पर आ गई थी! हमें अपने बच्चों को, अकेले पटाखों को चलाने की अनुमति नहीं देना चाहिए! माता-पिता अपने बच्चों को साथ में रहें ,तब ही पटाखे चलाये।जब कोई पटाखा नही चलता है तो उसे हाथ में नही उठाना चाहिए।जब हम कोई भी त्यौहार मनाये , हमें पूरी सावधानी बरतना चाहिए। नहीं तो जरा सी भूल भी हमारी जिंदगी बर्बाद कर सकती है।जब भी हम कोई त्यौहार मनाये, उस खुशी में इतने नही डूबना चाहिए कि ,हम किसी दुर्घटना को न भाप पाये।