त्योहार मनाने का बदलता स्वरूप
भारत त्योहारो और संस्कृति का देश हैं I हमारी त्योहारों के साथ आस्था और परंपरा जुड़ी होती हैं । त्योहार हमारी संस्कृति का आईना होते हैं। लेकिन आज ये तथ्य सही साबित नहीं हो रहे हैं आज इनका भी व्यवसायीकरण हो गया है। पहले ये त्योहार परस्पर मेल-मिलाप ,आपसी सम्बन्ध मजबूत करने और एक दूसरे के प्रति सम्मान तथा स्नेह दर्शाने का ज़रिया हुआ करते थे और आज ये विशुद्घ आस्था का वास्ता न रहकर व्यवसायिक समीकरणों को सुदृढ़ करने का रास्ता बन गए हैं।कटु सत्य यह है कि त्योहारों के पीछे की वास्तविक सोच बदल गई है। त्योहारो का मनाने के तरीको मे जबर्दस्त बदलाब आया है I किसी भी त्योहार के पूर्व ही व्हाट्सप्प ,फ़ेसबुक और ट्विटर पर हास्य, देसी भावना से लबरेज, भक्ति भावना को दर्शाते एमोजी आने शुरु हो जाते है I अब आपको सुबह उठकर आपको सर्वप्रथम एक धार्मिक पोस्ट, बहतरीन चित्र और चार सौ पान्च सौ लोगो को टैग करके अपनी धार्मिक आस्था का परिचय देना है फ़िर सर पर माता रानी की चुनरी बाँधकर डीपी पर सेल्फ़ी लगाकर प्रमाण देना है, हाँ आप सही मे नवरात्र मना रहे हैI सन्ध्या के समय डंडिया नाइट मे भागित होना है, अगर आप माता के भजन से बोर महसूस करते है तो साइड मे डीजे पर “तम्मा तम्मा ” भी उपलब्ध होता है I आप भरपूर रोमांचक तरीके से नवरात्रि का आनंद उठाये I आप किसी भी तरह खुद को पुराने किस्म का न समझे ,हर आधुनिक शान शौकत मौजूद रहती हैं I अब खान पान की बात करे तो बाज़ार मे आपको नाना प्रकार के विशेष मिष्ठान उपलब्ध है जिसमे कुटू की राज कचोरी, डोसा, इडली ,समोसा,कढी ,नमकीन, मखाना बर्फ़ी ,पानी पूरी,कतली, विशेष थाली, लड्डू इत्यादि भरपूर मात्रा मे मिलेगा Iआप पूरे स्वाद के साथ मजे करे I पोशाक मे ओनलाइन व्हाट्सप्प ग्रुप वाले सुबह चार बजे से रात दो बजे तक हर तरह की माता रानी की थाली, पोशाक, सुहाग डलिया, आपके वस्त्र, बच्चो के वस्त्र इत्यादि भेजकर अपने ग्रुप का पालन करते है ओन लाइन वाले हर दो सेकन्ड पर आठ दस तस्वीरे भेजते रहते हैं, बस आप पूरी निगाहे रखे किसी भी पोस्ट को खारिज़ ना जाने दे I वैसे हर कोई व्यक्ति पन्द्रह बीस शोप्पिन्ग ग्रुप से जोड़ दिया जाता ही हैं ताकि आपको शोपिन्ग में किसी भी प्रकार के कष्ट की प्राप्ती ना हो Iऔर त्योहारों पर तोहफ़े यानी उपहार दिए जाने की हमारी हिंदुस्तानी संस्कृति की काफ़ी पुरानी परंपरा रही है। पहले खुले दिल से तोहफ़े दिए जाते थे, उपहारों के पीछे छुपी भावना देखी जाती थी, आज क्वालिटी और ब्रांड के साथ तोहफ़े भेजे जाते हैं I आप भावनाओ मे ना बहकर ब्रान्ड की ही खरीदारी करे ,अन्यथा आपका वर्ग परिभाषित कर दिया जायेगा कि आप उच्च वर्ग के तौर तरीके नही जानते I प्रसाद के तौर पर आप चना ,हलवा पूरी मीठाई या कोई विशेष पकवान बनाने की जुर्रत ना करे, आप फ़्रूटी,मेंगी,पिज़्ज़ा, कुरकुरे, बिस्किट आदि का वितरण करके अपनी आधुनिकता का परिचय दे I कुछ सिनेमाघरो और मनोरंजन पार्क मे कुछ विशेष छूट पर नवरात्र स्पेशल सुविधा होती है वहाँ आप ग्यारह या इक्क्सीस बच्चो का मनोरंजन करा दे, आपको सच्ची श्रद्धा की अनुभुती होगी I कुल मिलाकर त्योहारों को मनाने के तरीक़े, अंदाज़ भी बदले हैं। जोश भी बढ़ता जा रहा हैI टी. वी. धारावाहिकों द्वारा जिस दिन जो त्योहार पड़ता है, उस दिन प्रसारित होने वाली कड़ी में विशेष रूप से उन त्योहारों को भी कहानी के हिस्से के रूप में शामिल करके वे भी अपना धर्म निभाते है।
कुछ इस तरह से आज हम अपने त्योहारो को मना रहे हैं I आधुनिक साज सज्जा, पोशाक, घूमना फ़िरना, खान पान और सोच के बदलाब ने वाकै मे त्योहारो का स्वरूप बदल दिया हैं I
युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद