त्याग
पनीली आंखों ने मूंद लिए दीप ,
मन कहीं दूर गया, यादों को लीप।
पलकों में कलरव,अधर हुए बंद
मौन-मूक अंतर ,बांच रहे छंद।
मां का त्याग और पिता का छांव
फिर याद आ गया भूला सा गांव।
पनीली आंखों ने मूंद लिए दीप ,
मन कहीं दूर गया, यादों को लीप।
पलकों में कलरव,अधर हुए बंद
मौन-मूक अंतर ,बांच रहे छंद।
मां का त्याग और पिता का छांव
फिर याद आ गया भूला सा गांव।