त्याग
त्याग की पवित्र भूमि पर ही
पुण्य सिद्धियों, श्रेष्ठता,
सफलता की पौध फलती है ।
त्याग के बिना दुर्लभ है
कोई भी उपलब्धि ।
दशरथ नंदन राम भी
राज्याभिषेक त्याग
जब वन गए,
तब जा उपाधि मिली
मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम की ।
कन्हैया वृन्दावन त्याग ही
द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण हुए |
गांव की गंवार गोपियाँ
कृष्ण के प्रेम में सर्वस्व त्याग
सदा के लिए अमर हो गयीं ।
प्रेम ईश्वर का अंश है; किन्तु,
त्याग उससे भी श्रेष्ठ है,
तभी तो माँ सीता श्री राम से पूर्व
व ठकुरानी राधा जी कृष्ण से पूर्व
इसी त्याग की श्रेष्ठता के बल पर
अपने आराध्य से भी श्रेष्ठ हो गई।
और सदा सदा के लिए
स्वनाम धन्य कर गयीं ।