तो समझो राम जन्मे हैं,,,,,,
कोई मासूम सी सूरत जो हो जब,भूख से व्याकुल ,
उसे मिल जाये गर रोटी , तो समझो राम जन्मे है।।
हों जो लाचार तन से ,बोझ खुद का ना उठा पाएं,
कोई दे दे सहारा उनको, तो समझो राम जन्मे है ।।
धरां ही फर्श है जिनका,आसमां ही सिर पे छप्पर है,
ठिकाना उनको दे दे कोई , तो समझो राम जन्मे हैं ।।
लगी है भीड़ मंदिर में , जरा बाहर भी तो देखो,
मिले भूखे को गर भोजन , तो समझो राम जन्मे हैं ।।
करो आराधना उनकी , हमे भी ज्ञान मिल जाये ,
मिटे कृन्दन क्लेशों का , तो समझो राम जन्मे हैं ।।
सुनील सोनी “सागर”
चीचली