तो लिखूं
सदमों से उबर जाऊँ तो लिखूं
मातम से उभर पाऊँ तो लिखूं।
हार रहें हैं जंग ज़िंदगी से लोग
उन्हें हौसला दे आऊँ तो लिखूं।
जाने क्यों खफ़ा है खुदा हमसे
खुद को समझा पाऊँ तो लिखूं ।
हाल के हलाहल में हालात हैं
पहले इनसे बच पाऊँ तो लिखूं ।
ढेर हैं लाशों के अपने आसपास
सुपुर्दे खाक कर आऊँ तो लिखूं
-अजय प्रसाद