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29 Oct 2021 · 1 min read

तो चलूं।

मय मयस्सर हो तुम्हारी आँखों में अगर ,
ज़रा पीं लूं तो चलूं ,

ज़िंदगी सी हो तुम ऐ हसीं तुम्हें ,
ज़रा जी लूँ तो चलूं ,

हो गुस्ताख़ी माफ तो राज़-ए-दिल ,
ज़रा खोलूं तो चलूं ,

हो इजाज़त तो हाल-ए-दिल ,
ज़रा बोलूं तो चलूं ,

अल्फ़ाज़ में सजा के हर ख़्याल ,
ज़रा कह लूं तो चलूं ,

लहराती-इठलाती तुम्हारी ज़ुल्फों में,
ज़रा रह लूं तो चलूं ।

कवि- अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
370 Views
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