तो क्या हुआ
तो क्या हुआ ज़िंदगी के रस्ते
तुम्हारे काँटों से भरे हुए हैं,
इन काँटों की चुभन से जो
तुम्हारे पैरों से लहू की बूँदें
निकलेंगी, एक दिन यही बहते
हुए ख़ूबसूरत अनमोल मोतियों
में बदल जाएंगे, बस अपने
हौसले की दीवार को गिरने न
देना।
तो क्या हुआ दिल टूट गया
तुम्हारा, दिल तो टूटने के
लिए ही होते हैं, आख़िर काँच
से जो ठहरे, बस तुम एक काम
करना, दिल के उन टूटे हुए
टुकरों से हौसले और ज़िंदगी
की नयी इबारत लिख डालना।
ज़िंदगी में कुछ भी बुरा नहीं होता,
सब कुछ हमारे अच्छे के लिए
होता है, बस हमें ही देर से समझ
आती है, हमारा नज़रया इतना
कमजोर होता है कि परदे के
पीछे छुपे ख़ूबसूरत चीज़ों को
ढूँढ ही नहीं पाते, या फिर ढूँढना
ही नहीं चाहते।
तो फिर क्यों न हम, आज से
ज़िंदगी के हर लम्हों में छिपे,
कुछ ख़ूबसूरत राज तलाशने
की कोशिश करें।
ज़रूर कुछ न कुछ नायाब
हमें मिलेगा ही।
और मिलेगा ज़रूर मिलेगा।