तो क्या तुम्हारे बिना
तो क्या तुम्हारे बिना,
नहीं रहेगा मेरा नाम,
इस जमीन पर,
और नहीं मिलेगा मुझको,
किसी सम्मान और प्यार,
नहीं करेगा कोई भी व्यक्ति,
मेरा विश्वास कभी भी,
जब भी देता रहूँगा मैं,
अपनी सच्चाई और सबूत।
तो क्या तुम्हारे बिना,
नहीं होगा मेरा अस्तित्व,
नहीं होगा मेरा भय किसी में,
और नहीं हो सकूंगा सफल,
किसी से रिश्ता बनाने में,
नहीं हो पाऊंगा कामयाब,
अपना कोई मकान बनाने में,
और भटकता रहूंगा मैं,
दर- दर पाने को शरण,
नहीं मिलेगा मुझको,
किसी से इंसाफ जिंदगी में।
तो क्या तुम्हारे बिना,
लगाऊंगा विपरीत अर्थ,
मैं हर शब्द और बात का,
और सीखा नहीं पाऊंगा,
मैं किसी व्यक्ति को धर्म,
नहीं होगी कोई कहानी,
मेरी मोहब्बत और हस्ती की
और मैं पहचाना जाऊँगा,
एक बेवफा खुदगर्ज की तरह।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)