तो क्या टूटा?
तो क्या टूटा? कसमें, वादे या भरोसा?
तो कौन रोया? आंखें, दिल या तुम
फायदा किसे हुआ? उन लोग को या तुम्हें?
जिंदगी बर्बाद किसकी हुई
मेरी जान! यहां सच्चे दिल की कद्र नहीं होती। हर पल टूटकर बिखर जाता है एक दिल यहां। यहां सुकू से जीना तो छोड़ो, करवटें भी ना ले पाओगे अगर दोगे एहमियत लोगों को जिंदगी में तुम। बेहतर रहेगा गर तवज्जों खुद को दोगे तुम पहले।
~ Silent Eyes