तो आखिरी बार
उछलती-झूमती उस भीड़ को
आनन्द लेते उस वक्त को
सीमाओं को लांघकर
इन आंखो से देख लूँ, तो आखिरी बार
???
किसी तरह बात ना मानकर
दहलीज का चोगा उतारकर
उल्लासो-उत्सव को लपेट
खुशियाँ जोरों से मना लूँ, तो आखिरी बार
???
सहते हुए किसी की डाँट को
किसी के फटकार में प्यार को
किसी के रूप में जालिम को
महसूस कर लूँ, तो आखिरी बार
???
कभी कुछ सोचते हुए
सपनों को देख खो जाते हुए
हकीकत में जी कर
चेतनाओं मे डूब लूँ, तो आखिरी बार
???
मानसून की ओस में
गिरती हुई बूँद में
घनाघोर की रिमझीम में
मैं भीग लूँ, तो आखिरी बार
???
कुछ अपने हित के लिए
पसन्द करते हुए मन के लिए
किसी चाह को अपनाकर
जिद की हद पर चढ़ लूँ, तो आखिरी बार
???
जीवन के विलास को छोड़
अपनों के साथ को छोड़
तख्त पर यादों को रख
अब साँसे भी भर लूँ, तो आखिरी बार
– शिवम राव मणि