तोहफा
मेरे घर जब बेटी ने जन्म लिया
ईश्वर ने अनमोल तोहफ़ा दिया
चेहरे पर अजब सी मुस्कान थी
मेरी बेटी मेरी शान थी
गोद में जब उसको उठाया
दिल में एक सुकून सा पाया
उंगली थाम के चलना सिखाया
बड़ी हुई किताब कलम थमाया
पढ़ लिख कर नाम रोशन कर दिया
गर्व से मेरा सीना चौड़ा कर दिया
जिस घर आंगन में बचपन बिताया
आज उसे छोड़ जाने का दिन आया
विदाई की आ गई यह घड़ी है
घर के आंगन में डोली खड़ी है
आंसू जुदाई के बह रहे आंखों से
लगता है जैसे सांसे टूट रही सांसों से
ये पल फिर भी बड़े सुहाने हैं
जुदाई के ये पल एक दिन तो आने हैं
वीर कुमार जैन
31 जुलाई 2021